चलो चलो ए राही
चलो चलो ए राही, अपनी मंज़िल है आसान नहीं
रुको नहीं तुम पल भर, अब है रुकने का अरमान नहीं
चलो चलो ए राही..
बढो जतन से और लगन से , चूम लो चाँद सितारे
कठिन डगर पर चलते चलते , सुन लो गीत हमारे
सपना होगा सच्चा तेरा, नींद का रहे निशान नहीं।
चलो चलो ए राही..
राहों से मंज़िल मिल जाती, मंज़िल से कुछ राहें
बाधाएं हम को उलझातीं, सुलझाती कुछ बांहें
पास पहुंच बैठे हैं हम, है दूरी का अनुमान नहीं।
चलो चलो ए राही….
अभी न थकना, पहुंचने वाले हैं नदिया के धारे
मिल जाएंगे सागर में, ज्यों मिलते मीत न्यारे
सागर की गहराइयों कीअभी तुम्हे पहचान नहीं।
चलो चलो ए राही….
जीवन सांसें चलती जाती, बन आती कुछ आसें
आशाओं को पंख लगाकर दिल कहता कुछ बातें
उन बातों का, भाव स्वरों का अभी तलक तुम्हें ज्ञान नहीं।
चलो चलो ए राही…
विपिन शर्मा