चलो गांव को चले
हे बन्धु! चलो गांव को चले
जहां खेतों में लहराए फसले
जहां सुख के फूल खिले
जहां धूप में छाँव मिले
जहां मन के सारे ग़म मिटे
जहां बच्चे अतरंगी खेल खेले
जहां खुशियों की हो बौछारे
जहां सपनों का संसार बसे
जहां प्रेम का झरना बहे
जहां सर पर आकाश खुले
जहां स्वच्छ पवन तन छूले
जहां रात में तारे चमके
जहां कलरव करते विहग उड़े
जहां मिलजुल कर लोग रहे।
— सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार