चलो कुछ नया करते हैं
चल हम चलते हैं
कुछ नया करते हैं
भीड़ से अलग
भीड़ से अलग
कुछ नया करते हैं…
दुनिया की बातों से
फर्क नहीं पड़ता है
ज़मीं पे था,
ज़मीं पे ही हूं
गिरने से हमको
डर नहीं लगता है…
भीड़ से अलग
चलो कुछ करते हैं
कुछ नया करते हैं…
चल, प्रयास हम करते है
असफलता से लड़ते है
हारते हैं हारते हैं
फिर भी हम लड़ते हैं
जीत की उम्मीद खातिर
बार बार लड़ते हैं
जिंदगी की जीत खातिर
बार बार लड़ते हैं
हारते हैं हारते है
फिर भी हम लड़ते हैं…
मरते हैं पड़ते हैं
गिर गिर कर उठते
पहाड़ से हम सीखते
कभी न हम झुकते
पंछी से हम सीखते
गिर गिर कर उठते
पर एक अवधि बाद
पंछी गगन में है उड़ता
इसी उम्मीद खातिर
हम भी हैं लड़ते हैं
हारते हैं हारते हैं
बार बार लड़ते हैं…