चलो किसी दिन सितारों पे सफर करते है
चलो किसी दिन सितारों पे सफर करते है
ये जिंदगी फिर नए सिरे से बसर करते है
बहुत हुयी मसरूफियते अब सब तमाम करो
चलो चल के कही और शामों सहर करते है
चलो आज गुजारे कहीं और फिज़ा में वक़्त
चलो खिले खिले मौसम को ये खबर करते है
सुनो फिर ये ना कह देना के ये मुमकिन नहीं
जहाँ ना ग़म हो वही जाके बसर करते है
आज आख़िर मुस्करा के ये तुम कह ही दो
चलो आज की शाम तुम को नजर करते है