चलो उस पार चलते है !!!
चलो उस पार चलते हैं,जहां न कोई मचलते है।
शुकूं से गुजरेंगे हर पल ,यहां तो सारे जलते है।
प्यार भी करने न देते, हमें तो मिलने न देते,
वहां न कोई बंदिशें,पंछी आजाद टहलते है।।
घरौंदा हम भी बनाएंगे,प्यार के गीत गाएंगे।
होंगे साकार सब सपने,जो अपने मन में पलते है ।।
न कुछ भी साथ है जाता,न कुछ भी हाथ है आता
प्रीत की है डगर ऐसी ,जिसे सब याद रखते है।।
है राही प्रीत के हम भी,जिस्म में अपने है दम भी।
चलो चलते ही जाएंगे,अनुनय कहां चलने से थकते।।
राजेश व्यास अनुनय