चलो इसे ही अपनी पार्टी से चुनाव लड़ाते है
चलो अपनी पार्टी से चुनाव लड़ते है
खेलते है खेल एक गंदा
सता पाने का यही है फंडा
खेल के लिए किसी को चुनते है
चुनते है उसे जो जानता है की
जनता को कैसे चूतिया बनाते है
झूठ में कैसे फँसते है
कभी पकड़े जाए तो
हुनर रंग बदल ने का बाखूबी आए
सब कुछ अच्छे से आता हो
ऐसे किसी निठाले बाईमान को
इस खेल के मैदान मे लाते है
उसका नामांकन करा उसे
बलि का बकरा बना बाबू जी को
कसाई के सामने छोड़ आते है
चलो इसे ही अपनी पार्टी से चुनाव लड़ाते है |
रचनाकार
नीरज मिश्रा “ नीर “ मध्य प्रदेश