*चलो आज*
चलो आज
चलो जमी की बन्दीसो को तोड़कर,,,
खुले आसमा को चूमते है,,,,
बहुत सह लिए ये जमाने झटके,,,
दो परिदों की मस्ती में झूमते है,,,
सुलगते यहसासों को कब तक यू रोके,
सारे नियम कायदे झोकते है,,,
चलो आज अपनी आजादी को देखते है,,,
अपनी अलग खुशी ढूढते है,,,
बहुत होगई ये छुपने की बाते,,,,
मिलते है जमी पर देखने दो सितारे जो देखते है,,,
मानक लाल मनु,,,