चलो आज ये बात भी आर-पार हो जाये
चलो आज ये बात भी आर-पार हो जाये
दुश्मन दुश्मन ही रहे यार -यार हो जाये
ये जो उछालते हो गिरा- गिरा के उठाते हो
कहीं ऐसा न हो की दिल ज़ार-ज़ार हो जाये
नज़र नज़र से मिलती इस क़दर कि दरमियाँ
अगरचे हो परदा भी तार-तार हो जाये
हरगिज़ ना कहिए हाय महफ़िल में ऐसी बात
निकली जो ज़बान से तो खार-खार हो जाये
जो धड़का गया हाय दिल को धमाके जैसा
वही हादसा क्यूँ ना बार- बार हो जाये
देखूं कहाँ कहाँ से और क्या- क्या देखूं
मिरी उनसे जब नज़रें चार-चार हो जाये
माना जीतने का मज़ा ही कुछ और है’सरु’
गले पड़कर खूबसूरत हार- हार हो जाये