चलो आज चाल…(ग़ज़ल)
ग़ज़ल
चलो आज चाल तुम्हारी ही चल के देखते है।
तुम्हारी तरह तुम्हे तुमसे यूंही छल के देखते है।
बहुत भरोसा किया तुम पर जान -ए-जानां।
अब जरा हम भी बेखुदी मे बदल के देखते है।
इतने सितम पर भी हो बस तुम्ही हमको प्यारे।
हम कोई ख्वाब न बिन तुम्हारी शकल के देखते है।
इतना भरोसा है ग़र गिरेंगें तुम्हारा आगोश होगा।
कुछ एक पल अंधेरो वीरानों मे चल के देखते है।
कहानी यें अपनी याद मुहंज़बानी सबको।
लिखि सी इस ग़जल मे ढ़ल के देखते है।
तस्व्वुरातों से -ए-सुधा कहाँ कुछ है हासिल।
चलो इससे बाहर अब निकल के देखते है।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड़