चलो आज कुछ अच्छा करते हैं।
प्रपंच से दूर,सरल बनूँ
खुशी हो भरपूर
कुछ अच्छा करूँ
गुरूदेव की मंत्रमाला, प्रभु से बात ,
छुट्टी का आनंद परिवार का साथ।
धर के किसी कोने में अपने
जो हँसना भूल गए
उनको खिलखिलाता देखूं ।।
भूखे को रोटी ,काँपते को कंबल
रूठे की मनुहार, दोस्तों की मुस्कान
बचपन भूला वो छोटू ,
सेवा करती बाई
चलो आज इनको भी आराम की
स्वपनिल सोच को सच करते हैं ।
आज कुछ अच्छा करते हैं ।।।।।
सविनय निवेदन।।।।।
आरती गुप्ता।।।।।??