चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पहुंच गए हवालात———-
यदि आपको किसी भी विषय कि विशेषज्ञता है तो तब तक अपनी जानकारियां सलाह सुझाव तब तक ना दे जब तक कोई भी आपसे जानने का उत्सुक ना हो या ना मांगे।
साथ ही साथ यदि कोई व्यक्ति आपके विशेषज्ञता विषय का कार्य कर रहा हो तब भी आप बिना उसके अनुरोध के कोई जानकारी ना दे यह यदि आप नही करते है और बात बे बात अपनी जानकारी ज्ञान देते है तो बहुत स्प्ष्ट है कि आपकी जानकारी सतही है और आप प्रर्दशन कर ख्याति चाहते है और ऐसा करना ज्ञान देवी का भी अपमान है कहा भी जाता है बिना आवश्यकता विचार देने वाला विद्वान नही मूर्ख ही कहा जाता है।।
इसी से सम्बंधित एक घटना सकारात्मक संदेश देती है आजमगढ़ जनपद के सगड़ी तहसील के रामबुझ शुक्ल जी बड़े रसूख वाले एव इलाके के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे उनका सम्मान इलाके भर में था ।
उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह शिवनाथ तिवारी के इकलौते बेटे से निश्चित कर रखा था शिवनाथ तिवारी के पास अच्छी खेती बारी थी और स्वंय भी बहुत ख्याति लब्ध व्यक्ति थे उन्होंने खुद तो कानून कि पढ़ाई नही की थी लेकिन कोर्ट कचहरी और वकीलों कि दोस्ती से उन्हें कानून का ज्ञान अच्छा था।
उनके परम मित्रों में मशहूर वकील ठाकुर अमला सिंह थे शिवनाथ तिवारी एव ठाकुर अमला सिंह कि दोस्ती जग जाहिर थी शिवनाथ तिवारी ने अपने बेटे को कानून कि पढ़ाई कराई वह वकील बन गया चंद्र प्रकाश मिलनसार और मेधावी और महत्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण युवा था यही देखकर रामबुझ शुक्ल ने अपनी बेटी का विवाह चंद्र प्रकाश से निश्चित किया था।
शुभ तिलकोत्सव के बाद विवाह कि तिथि धीरे धीरे निकट आने लगी शिवनाथ तिवारी ने बरात के लिए बस कि व्यवस्था कर रखी थी शिवनाथ तिवारी के घर से रामबुझ शुक्ल का घर दो सौ किलोमीटर से अधिक दूर था।
विवाह के दिन सभी शुभ मुहूर्त में विधि विधान विधिवत पूर्ण होने के बाद बरात निकलने के लिए बस का इंतजार होने लगा दिन मध्यान तक निर्धारित बस नही आई चार बज चुके थे वैवाहिक परंपरा के अनुसार सूर्यास्त होते ही कन्या पक्ष के दरवाजे द्वारपूजा होना चाहिये यही मर्यदा एव मान्यता दोनों है ।
चार बजे तक बरात के लिए निर्धारित बस नही आई तब शिव नाथ तिवारी ने अपने मशहूर मित्र वकील ठाकुर अमला सिंह से कहा वकील साहब आप अपनी कार से दूल्हा दूल्हे के बड़े भाई आदि महत्वपूर्ण चार पांच लोंगो को लेकर चले जब बस आएगी तब बाकी बाराती आएंगे ।
ठाकुर अमला सिंह ने दस दिन पूर्व ही नई अम्बेसडर कार खरीदी थी ठाकुर अमला सिंह को अपने परम मित्र शिवनाथ तिवारी से अधिक खुशी थी उनके पुत्र के विवाह कि ठाकुर अमला सिंह उनका ड्राइवर नाहर और दूल्हा दूल्हे का बड़ा भाई एव दूल्हे के मामा को लेकर चला साथ ही साथ एक दो लोंगो को जबरन पांच सीटो पर समायोजित किया गया ।
नाहर दूल्हे और ठाकुर अमला सिंह एव विशेष लोंगो को लेकर रवाना हुआ जिनका महत्व विवाह में होता है ।
नाहर अपने अनुसार कार ड्राइव कर रहा था उधर शाम छ बजे विवाह के लिए निर्धारित बस आई और बाकी बारातियों को लेकर चली ।
इधर नाहर कार ड्राइव करता तो कार में बैठे एक दो लोग जो कार चलाना जानते थे बार बार नाहर कि बेवजह तारीफ करते कहते नाहर तो बम्बई में कार चलाता है यह दो सौ किलोमीटर कि दूरी दो घण्टे में तय कर लेगा ज्यो ज्यो नाहर अपनी तारीफ सुनता एक्सीलेटर पर बढ़ाता जाता उंसे पता था कि उसकी तारीफ करने वाले अच्छे कार चालक है वास्तव में नाहर सूर्यास्त होने से पूर्व रामबुझ शुक्ल के गांव से मात्र पचास किलोमीटर दूर ही रह गया था ।
सड़क भी व्यस्त नही थी ज्यो ही नाहर आजम गढ़ से रामबुझ शुक्ल के गांव कि तरफ कार का रुख किया फिर कार में बैठे लोंगो ने उसकी तारीफ में कसीदे पढ़ना शुरू कर दिया नाहर एक्सीलेटर बढ़ाता ही जा रहा था सुन सान सड़क बेफिक्र होकर वह कार चला रहा था वैसे भी खाली सड़को पर बैखौफ कार चलाता है।
अचानक ईंट भट्ठे के दो मजदूर सर पर ईंट लादे सड़क पार कर रहे थे नाहर सुनसान सड़क पर इतनी तेज रफ्तार में कार चला रहा था कि वह कार से नियंत्रण खो चुका था ।
परिणाम यह हुआ कि ईट लेकर सड़क पार कर रहे मजदूर कार कि चपेट में आ गए और दम तोड़ दिया नाहर ने कार भगाना जारी रखा लेकिन कुछ दूरी पर गांव और भट्ठे के मजदूरों ने कार घेर लिया और कार में सवार लोंगो को मारने पीटने लगे ठाकुर अमला सिंह कि दोनाली बंदूक छीन लिया और औऱ कार में आग लगा दिया।
कार में बैठे दूल्हे समेत सभी को गंभीर चोटे आई दुर्घटना कि सूचना मिलते ही नजदीकी थाने के थानाध्यक्ष ने कार में बैठे सभी लोंगो को हवालात में डाल दिया जिसमे दूल्हा भी था ।
इधर शाम छः बजे चली बस रामबुझ शुक्ल के दरवाजे पर रात्रि दस ग्यारह बजे बरातियों को लेकर पहुंच गई ।
रामबुझ पूरी तैयारी के साथ बरात कि प्रतीक्षा कर रहे थे जब बारातियों की बस उनके दरवाजे पहुंची और उन्होंने बताया कि उनके दूल्हे कि कार तो बहुत पहले ही चल चुकी थी तब रामबुझ शुक्ल को चिंता हुई और वह स्वंय अपने आदमियों के साथ दूल्हे को खोजने निकले ।
ज्यो ही थाने पहुंचे देखकर दंग रह गए उनका होने वाला दामाद दूल्हा समधी और अन्य आवश्यक लोग बुरी तरह घायल अवस्था में हवालात में बंद है ।
रामबुझ शुक्ल मानिंद एव इलाके में रसूखदार आदमी थे उन्होंने थानेदार एव उग्र लोंगो को बेटी के विवाह का और अपने होने वाले दामाद के लिए अनुरोध किया जिसे कुछ हिला हवाली के बाद लोंगो ने मान लिया ।
रामबुझ शुक्ल दूल्हे एव सभी लोंगो को लेकर रात्रि के तीन बजे घर पहुंचे दूल्हे के सर पर पट्टी बंधी थी और दुर्घटना के दर्द एव दुख से अपने विवाह कि खुशी भूल विवाह के फेरे ले रहा था।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश ।।