चले नौका गहन सागर
चले नौका गहन सागर किनारे याद रहते है
कभी हो चूक नाविक से किनारे याद रहते है
करे जब हरकतें बालक हमेशा माफ करती माँ
बड़े हो तब यहीं पल फिर करारे याद रहते है
पढ़ाई के समय मिलकर शरारत प्यार भर करते
मिला करते न साथी वो हमारे याद रहते है
जवां होकर जवानी की सभी शामें बिती कैसी
प्रिया के साथ हो जब वो तुम्हारे रहते है
चली बीती उमर जाये न दिन वो लोट आने है
कभी मनु सोचती है तब कुँवारे याद रहते है