चले जाओगे क्या…
मानो तुम जाओ और मैं तुम्हारा हाथ थाम लुँ,
मुझसे अपना हाथ छुड़ा पाओगे क्या,
मानो मेरी नज़रें प्यार मांगेगी,
मेरी नज़रों से अपनी नज़रें चुरा पाओगे क्या,
साथ में इतनी यादें संजोइं है हमने,
इक पल में उन यादों को मिटा पाओगे क्या,
रह भी नहीं पाते हो एक लम्हा मेरे बिन,
मेरे बग़ैर पूरी जिंदगी बिता पाओगे क्या,
तेरी रूह से वास्ता है हमारा,
हमें यूँ ख़ुद से जुदा कर पाओगे क्या,
आसां नहीं यूँ किसी का भी हो जाना,
किसी और को सीने से लगा पाओगे क्या,
मेरे संग मिलों चलने का शौक है तुम्हें,
किसी और के साथ फेरे ले पाओगे क्या,
मगर जाना तो पड़ेगा तुम्हें किसी और के लिए,
पर सच बताओ,
तुम यूँ ही मुझे तन्हा छोड़ कर चले जाओगे क्या।
✍️वैष्णवी गुप्ता ( Vaishu )
कौशाम्बी