*चली राम बारात : कुछ दोहे*
चली राम बारात : कुछ दोहे
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परशुराम से जब किया, लक्ष्मण ने संवाद
कड़वे-से होते रहे, नभ में मानों नाद
बोले राम विनम्र हो, सेवक समझो दास
दंडित होने के लिए, खड़ा तुम्हारे पास
दो अक्षर से राम हैं, परशुराम में पॉंच
नौ गुण से ब्राह्मण भरे, नहीं सत्य को ऑंच
बाण नहीं फरसा नहीं, चला न अप्रिय युद्ध
सुंदर उपसंहार था, मिले व्यक्ति दो शुद्ध
कौवा हिरनी नेवला, मछली दही-परात
शगुन सभी मंगल दिखे, चली राम बारात
जनकपुरी को जानिए, सोने का भंडार
हीरे पन्ने स्वर्ण के, कृत्रिम वृक्ष अपार
दशरथ ने आसन दिया, गुरु वशिष्ठ को साथ
रथ में यह बारात थी, रक्षक दीनानाथ
जनवासा सुंदर मिला, दशरथ को दिन-रात
सुखद लग्न से एक दिन, पहले लगी बरात
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451