चला रहें शिव साइकिल
आयोजन — सुनो कहानी : चित्र जुबानी
चला रहें शिव साइकिल,बसहा गया विदेश।
मूषक वाहन छोड़ कर,बैठे संग गणेश।
पैंट-शर्ट जूता पहन, बाँध गले में टाय,
लिए गजानन हाथ में, झंडा एक विशेष।
जटा-जूट बाँधे हुए,तन बाघंबर छाल,
सजे हुए रूद्राक्ष से,ग्रीवा में नागेश।
मुग्ध हुआ मन बावरा,मनमोहक सौन्दर्य,
दोनों बालक रूप में,,अद्भुत है परिवेश।
अति प्रिय हर माह में,मुझको सावन माह,
फिर आऊँ अगले बरस,दिये यही संदेश।
प्रेम विवश होकर रुका, और नहीं कुछ बात,
जाता हूँ कैलाश पर, वही हमारा देश।
हाथ जोड़ विनती करू,सुन लो दीनानाथ,
ऋद्धि-सिद्ध घर में रहे,गणपति संग महेश।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली