चलन
कुछ जाने पहचाने लोग
बहुत डराते हैं
की अंदर तक सहम जाए मन
दिल जैसे कोई भींचे
मुट्ठियों में
बेल्ट, चप्पल, जूते
सबसे खतरनाक
की इनकी शिकायत भी
जायज़ नहीं समझी जाती
घर मे चूल्हे पर
रोटी सेकने वाले हाथ
खुद को हल्दी तक नहीं लगा पाते
न होंट भर सकते हैं आह
दुपट्टे, आँचल, छुपाते हैं निशान
नीले, काले, और खरोंच के
जो अमूमन बने होते हैं
“रसोई में काम करते वक़्त”
पर आवाज़ की लरज़
होंटों की जुम्बिश
और आँखों की पुतलियों
की ज़ुबाँ
गूंगा भी पढ़ सकता है
पर फिर भी सब चुप हैं
क्योंकि ये चलन
बरसों पुराना है
और बरसों बरस
यूँही पनपता रहेगा
क्योंकि उन चप्पलों
बेल्टों और जूतों का मालिक
कोई अपना ही होता है