*चलने की तैयारी है 【भक्ति-गीतिका】*
चलने की तैयारी है 【भक्ति-गीतिका】
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(1)
गठरी धन की फेंक मुसाफिर ,चलने की तैयारी है
पतवारों ने कहा नाव से ,नौका अब भी भारी है
(2)
वजन तोल कर कह दो प्रभु !,अब मेरा नहीं तुम्हारा है
राम-नाम से भरी हुई ,हर नौका प्रभु ने तारी है
(3)
इनसे धन का अहंकार कब छूट सका मरते दम तक
धन वालों को राज्य स्वर्ग का मिलने में दुश्वारी है
(4)
महंँगे महंँगे तामझाम में कब ईश्वर मिल पाएगा
जिसने मुफ्त प्रयत्न किया है ,उसकी प्रभु से यारी है
(5)
साँसें तुमने दिवस चार दीं राम-नाम हरि भजने को
रोम-रोम तन का हर क्षण इस जीवन का आभारी है
(6)
राम नाम की महिमा भारी राम-नाम गुण गाए जा
सब रोगों की एक दवाई राम-नाम गुणकारी है
(7)
धरे रह गए सब आडंबर – मालपुए धनवानों के
प्रभु को भाई भाव-भरी निर्धन की खातिरदारी है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451