चलना ही जिंदगी
चलना ही जिंदगी
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पथ में अपने यूं ही ,
आगे को बढ़ते जाना।
मेहनत और बुलंद हौंसलों से,
मंजिल को अपनी पाना।
पथ में अपने यूं ही —-
थकना नहीं कभी तुम,
रस्ता बहुत कठिन है।
नैया हो रही है डग-मग,
लेकिन! तुमको किनारे जाना।
तुमने यही सिखाया,
विपत्तियों में भी अपना।
संबल बनाए रखना।।
पथ में अपने यूं ही–
आगे को बढ़ते जाना–
मुझको ही तो तुमने,
हिमालय सा बनाया।
मुझमें साहस कि शक्ति
भरकर पापा !!!
तुमने ही मुझको
फौलाद बनाया।।
पथ में अपने यूं ही,
आगे को बढ़ते जाना—-
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर