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9 Sep 2023 · 1 min read

चलते जाना

चलते जाना ही मुसाफिर अब तुम्हारा काम है।
सूरज कहाँ कभी करता दिन में आराम है

बाधा बहुत आएगी मगर थकना नहीं तुम
तुमको रोकेगी मगर रुकना नहीं तुम
पाँव अगर छिल जाएँ तो डरना नहीं तुम
जब मंजिल मिलती है होता फिर नाम है

माना कि मुश्किल बड़े हैं यहाँ सब रास्ते
कोई किसी के लिए है कोई किसी के वास्ते
कोई सफ़र कटता है केवल आस्ते आस्ते
मगर सफल होता वही कर्म करे निष्काम है

यहाँ जो भी तय करता कि जीतना है अब
वैसे भी यहाँ कल होता कहाँ है कब
हारकर अक्सर पीछे हट जाते हैं सब
मेहनत करने में कहाँ लगता कोई दाम है

मिट्टी से जो उठ कर पहुँच जाए आसमाँ
किसी के कहने से नहीं रुकता उसका कारवां
जैसा बोएगा फिर काटे वही तो बागवां
उसके ही नक्शे-कदम पर चलती आवाम है

अनिल कुमार निश्छल
हमीरपुर बुंदेलखंड
उत्तरप्रदेश

Language: Hindi
318 Views
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