चलते-चलते
छोड़ गये सफर में हमसफर,गुमराह हो गये
तिनके का सहारा ही सही सहारा तो था।
आवारगी के चर्चे मशहूर जब हुए,
दिल कह उठा कम से कम आवारा तो था।
वफा भी दम तोड़ देती है शराफत में कभी कभी,
मोहब्बत में डूबकर बिगड़ना गँवारा तो था।
लाजमी है तेरी शोखी मेरे मुकाबिल ‘अतुल’नीय रही
पर सादगी ने मेरी जमीं पर तुझे आसमां से उतारा तो था।
दीदार-ए-हुश्न की तपन का एहसास तुम्हे नहीं,
तुम्हारी याद ही सही शाम साथ उसके मयकदे मे गुजारा तो था।