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22 Dec 2024 · 1 min read

चलते चलते थक गए, अपने सबके पांव।

चलते चलते थक गए, अपने सबके पांव।
बदले सब हालात हैं, बदल गए सब गांव
ना हवा ना धूप रही, कमरों में सब कैद
मेघ, नदी, बचपन गया, ना कागज की नांव।।

सूर्यकांत

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