चलती सांसों को
चलती सांसों को
जो चाहे तो मुख्तसर कर दें।
ज़िन्दगी की कोई एक शाम
मयस्सर कर दे।।
खुद से बिछडे हुए
ए-शाद ज़माना गुजरा ।
खुद से मिल जाऊं,
मुलाकात मुकर्रर कर दे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
चलती सांसों को
जो चाहे तो मुख्तसर कर दें।
ज़िन्दगी की कोई एक शाम
मयस्सर कर दे।।
खुद से बिछडे हुए
ए-शाद ज़माना गुजरा ।
खुद से मिल जाऊं,
मुलाकात मुकर्रर कर दे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद