चर्चा करें मीडिया वीर
हो जाये जनता चुनाव में, थोड़ा सा भी यदि गंभीर
सही लोग आयेंगे चुनकर, बदलेगी सबकी तकदीर
अंधे बहरों के शासन में,अबला किसे सुनाये पीर
चौराहों पर लुटे द्रोपदी, खींच रहे सब मिल कर चीर
छोड़ पढाई सब कुछ सीखें, जन धन होता है बर्बाद
विद्या मंदिर को कुछ गुंडे, समझ रहे अपनी जागीर
सैनिक की तकलीफ देखने, सरहद पर जाता है कौन
बैठे बैठे बस टी वी पर, चर्चां करें मीडिया वीर
नोट पुराने बंद हुए जब, भ्रष्टों ने कोसी सरकार
हुई लता पत्ता सब माया, बादशाह से बने फ़क़ीर
लोकतंत्र में तंत्र मस्त है, लोक सदा रहता है त्रस्त
कंद मूल को जनता तरसे, नेता खाते रोज पनीर