चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है (गीत)
चरणों में सौ-सौ अभिनंदन, शिक्षक तुम्हें प्रणाम है (गीत)
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चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है
1)
तुम ही जग के भाग्य विधाता, प्रखर बुद्धि के दाता
कला और गुण अभिरुचियॉं शुचि, मानव तुमसे पाता
धन्य-धन्य वह मिला तुम्हारा, जिसको वर अभिराम है
2)
यह तुम ही हो जो लोहे को, कंचन रहे बनाते
मिट्टी के अनगढ़ स्वरूप सब, सुगढ़ पात्र बन जाते
विद्यादान तुम्हारे बल पर, महानगर हर ग्राम है
3)
तुम पाते सम्मान जहॉं हो, वही तीर्थ कहलाता
सभी देवता बसते तुम में, तुम ही मुक्ति प्रदाता
तुम परमेश्वर से बढ़कर हो, छवि पावन निष्काम है
4)
जिसे मिला आशीष तुम्हारा, ज्ञानी वह बन जाता
परम निपुण पावन विद्या का, कहलाता वह ज्ञाता
बसा तुम्हारे वरद-हस्त में, परम मुक्ति का धाम है
चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451