Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2022 · 1 min read

चयन (लघुकथा)

चयन (लघुकथा)
____________________
तीन लोगों का पुरस्कार के लिए चयन हुआ था ।एक का नाम खेलावन था। चयन समिति में उसके सगे चाचा बैठे थे। सभी रिश्तेदारों और खानदान-वालों का पूरा जोर था कि खिलावन ही पुरस्कृत होना चाहिए। खिलावन ने भी साफ साफ कह दिया था -“चाचा ! आज तुम चयन समिति में हो ,उसके बाद भी अगर मेरा पुरस्कार कटा तो समझ लो हमारी तुम्हारी रिश्तेदारी खत्म !”
तो खिलावन को तो इस कारण से पुरस्कार मिला । दुखीराम को पुरस्कार मिलने का मुख्य कारण यह है कि वह तीन-चार साल से चयन समिति के सदस्यों की चमचागिरी करता रहा । चयन समितियाँ बदलती थीं, नए लोग आते थे , दुखीराम निरंतर परिणाम की चिंता किए बिना उन सब की सेवा में लगा रहता था । आखिर एक दिन सेवा के बदले मेवा मिली और चयन समिति के सदस्यों ने यह महसूस किया कि संसार में चयन का आधार समिति के सदस्यों की सेवा ही होना चाहिए । इसलिए दुखीराम का पुरस्कार पक्का हो गया।
तीसरा सदस्य जुगाड़ूराम था। उसने न जान – पहचान निकाली , न चमचागिरी की । सीधे दलाल को पकड़ा, रुपए दिए और काम करा लिया ।
अब यह चयन समिति के सदस्यों का काम रह गया कि वह इस बात की रिपोर्ट तैयार करें कि उन्होंने तीन व्यक्तियों का चयन किस आधार पर किया है ?
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
169 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

नारी
नारी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
Diwakar Mahto
😢सियासी संकट यह😢
😢सियासी संकट यह😢
*प्रणय*
मानसून
मानसून
Dr Archana Gupta
आपके स्वभाव की
आपके स्वभाव की
Dr fauzia Naseem shad
*खर्चा करके खुद किया ,अपना ही सम्मान (हास्य कुंडलिया )*
*खर्चा करके खुद किया ,अपना ही सम्मान (हास्य कुंडलिया )*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
खुशियाँ तुमसे -है
खुशियाँ तुमसे -है
शशि कांत श्रीवास्तव
हम हमेशा साथ रहेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे
Lovi Mishra
कोई अवतार ना आएगा
कोई अवतार ना आएगा
Mahesh Ojha
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
Dr. Sunita Singh
शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं है
शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं है
Ranjeet kumar patre
7.प्रश्न
7.प्रश्न
Lalni Bhardwaj
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
3991.💐 *पूर्णिका* 💐
3991.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तिनका तिनका सजा सजाकर
तिनका तिनका सजा सजाकर
AJAY AMITABH SUMAN
विश्वास करो
विश्वास करो
Dr. Rajeev Jain
कायम रखें उत्साह
कायम रखें उत्साह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
हिमांशु Kulshrestha
दास्तान-ए-दर्द!
दास्तान-ए-दर्द!
Pradeep Shoree
गैरों से कैसे रार करूँ,
गैरों से कैसे रार करूँ,
पूर्वार्थ
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
AMRESH KUMAR VERMA
प्राणवल्लभा
प्राणवल्लभा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
प्रेरणा - एक विचार
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिन मौसम.., बरसे हम।
बिन मौसम.., बरसे हम।
पंकज परिंदा
"इस दुनिया में"
Dr. Kishan tandon kranti
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
Sudhir srivastava
भारत
भारत
Shashi Mahajan
Loading...