चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
चीख-चीख चातक चपल,चुप चंदा चितचोर।।
चेतक चौकन्ना चला, चारा चरने खेत।
चंपक चरवाहा चतुर, है चुपचाप सचेत।
चुप-चुप-चुप चुपचाप चुप,चमगादड़ चहुँ ओर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
चुस-चुस चुस्की चाय की, चना चबेना फाँक।
चुपके-चुपके चोर-सा, चालाकी से झाँक।
चुन्नी चाचा चाव से,चाटे चिकन चटोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
चपा-चपा चरखा चला,चक-चक चलती चाक।
चरर-चरर चकरी चरर, चटका चक्र चटाक।
चुपड़-चुपड़ कर चाशनी,चुपरी चुपर चपोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
ये पुलकित बचपन खिले,महक-उठे संसार।
चम-चम-चम चमके चमक,काव्यांचल परिवार।
काव्य कलश छलके सदा,हो कविता का शोर।
चम-चम चमके चाँदनी, चाहे चाँद चकोर।
-वेधा सिंह