Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2023 · 2 min read

चमचे भी तुम्हारे हैं फटेहाल हो गए

खा खा के माल गाल तेरे लाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे हैं फटेहाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए

बैठे बिठाए एक रोजगार था मिला
थी कार एक, नोट कई बार था मिला
भाषण सुना के मौज में काटे थे चार दिन
सिद्दत से अब चुनाव के दिन को रहे हैं गिन
चद्दर कभी थे किंतु अब रुमाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे…

होते चुनाव हो गया कितना बड़ा ये छल
अब हाल पूछने नहीं आता है कोई दल
साड़ी बटे न नोट ना बोतल शराब की
चलती नहीं हैं थालियाँ अब तो कबाब की
दावत के लिए लोग हैं बेहाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे…

जनता कहे कि नौकरी, पेंशन दिलाइए
नेता के हैं एजेंट जरा पास आइए
बातें न गोल गोल घुमाकर सुनाइए
क्या क्या हुआ विकास जरा ये बताइए
इतने सवाल खाये खुद सवाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे…

यूँ भूल तुम गए न बुलाते हो भूलकर
क्यूँ फोन आजकल न उठाते हो भूलकर
मौका निकल गया है तो ठेंगा दिखा दिए
अपने ही मददगार को उल्लू बना दिए
तुम बन गए नरेश ये कंगाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे…

लेना था वोट, सत्य का सौदा किया गया
पैसा खिला खिला के था धोका दिया गया
अब रोज संकटों से यहाँ जूझते हैं लोग
जीने के लिए कर्ज में भी डूबते हैं लोग
तुमको जिता के लोग हैं पामाल हो गए
कब आओगे नेता जी कई साल हो गए
चमचे भी तुम्हारे…

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 20/10/2023

2 Likes · 228 Views

You may also like these posts

उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
.....
.....
शेखर सिंह
उर्मिल
उर्मिल
Rambali Mishra
प्रकृति का भविष्य
प्रकृति का भविष्य
Bindesh kumar jha
किसे फर्क पड़ता है
किसे फर्क पड़ता है
Sangeeta Beniwal
गाँव भइल आखाड़ा
गाँव भइल आखाड़ा
आकाश महेशपुरी
आह
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
4286.💐 *पूर्णिका* 💐
4286.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कोई भी
कोई भी
Dr fauzia Naseem shad
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
Keshav kishor Kumar
धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)
धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)
Ravi Prakash
तुम सहारा बनकर आओगे क्या?
तुम सहारा बनकर आओगे क्या?
Jyoti Roshni
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
पं अंजू पांडेय अश्रु
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
Paras Nath Jha
"कश्मकश"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम और भय क्या है दोनों में क्या अंतर है। रविकेश झा
प्रेम और भय क्या है दोनों में क्या अंतर है। रविकेश झा
Ravikesh Jha
दिखावटी लिबास है
दिखावटी लिबास है
Dr Archana Gupta
सच
सच
pradeep nagarwal
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
Preksha mehta
दिल में इश्क भरा है
दिल में इश्क भरा है
Surinder blackpen
What a wonderful night
What a wonderful night
VINOD CHAUHAN
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
डॉ० रोहित कौशिक
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
Dr. Man Mohan Krishna
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
डॉक्टर रागिनी
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
पूर्वार्थ
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
Neelofar Khan
सच रेत और रेगिस्तान का भी मतलब होता हैं।
सच रेत और रेगिस्तान का भी मतलब होता हैं।
Neeraj Agarwal
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
व्यथा दिल की
व्यथा दिल की
Devesh Bharadwaj
Loading...