चमचागिरी
चमचों को चमचागिरी, भाती है दिनरात।
वैसे ही लतखोर को, समय समय पर लात ।।
समय समय पर लात, संग मुक्के भी खाये।
घरवाली भी डांट डपटकर, आँख दिखाये ।।
कहत सहज कविराय, हवा देने मंचों को।
नेता, नौकरशाह ढूंढ लाते चमचों को।।
चमचों को चमचागिरी, भाती है दिनरात।
वैसे ही लतखोर को, समय समय पर लात ।।
समय समय पर लात, संग मुक्के भी खाये।
घरवाली भी डांट डपटकर, आँख दिखाये ।।
कहत सहज कविराय, हवा देने मंचों को।
नेता, नौकरशाह ढूंढ लाते चमचों को।।