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18 Mar 2020 · 1 min read

चमचागिरी होती रही

थी पुलिस थाने में पर….गुण्डागिरी होती रही
मात्र आश्वासन मिला…..नेतागिरी होती रही

दारुलशफा के सामने ही….वो तड़पकर मर गयी
छुप के घर के कोने में ही…वैद्यगी होती रही

जब गया करने शिकायत….कुर्सियाँ खाली मिलीं
कागजों पर साहबों की….नौकरी होती रही

बेरोजगारी,भूख,मँहगाई….बनी सुरसा मगर
सब ठीक है,सब ठीक है….चमचागिरी होती रही

मार्च,धरना,जुलूस में….नारे लगे ज्ञापन दिए
अखबार में छपने को बस…गाँधीगिरी होती रही

भाषण विकास के हो रहे…देखिए हर मंच पर
दुनिया भर में देश की पर….किरकिरी होती रही

माफियाओं,गुण्डों का….बहुमत हुआ जब सदन में
माँ भारती के जिस्म में….इक झुरझुरी होती रही

चुप भला कैसे रहे मेरी ग़ज़ल …हालात पर
सच कहा ‘संजय’ ने जब भी मुखबिरी होती रही

1 Like · 1 Comment · 222 Views
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