Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2022 · 3 min read

चमचागिरी – एक कला

चमचागिरी एक कला है l इसमे पारंगत होने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती l यह आपके द्वारा किए गए सामान्य प्रयासों से आरंभ होकर धीरे – धीरे आपको एक विशेष पद पर आसीन कर देता है जहां आप एक “चमचे” के रूप में अपनी पहचान बना लेते हैं | चमचा होने के लिए कुछ विशेष योग्यताओं का होना अति आवश्यक है | जैसे आपको एक गधे को भी एक समझदार प्राणी कहने की क्षमता अपने आप में पैदा करनी होगी | जिस व्यक्ति के आप चमचे बनना चाहते हैं उससे और उसके परिवार के प्रति आपको पूर्ण रूप से वफादार होना होगा | फिर चाहे आपको इसके लिए अपनी आत्मा को भी तिलांजलि देनी पड़े | चमचागिरी के लिए आपको फुसफुसाहट के साथ बात करने की प्रवृत्ति अपने भीतर समाहित करनी होती है | जोर – जोर से चिल्लाकर आप किसी से बात नहीं कर सकते क्योंकि चमचागिरी का सबसे नायाब फ़ॉर्मूला यह है कि दीवार को भी आपकी बात सुनाई न दे |
चमचे की एक और खासियत होती है कि वह स्वयं को भीड़ में शामिल रखते हुए भी अकेला होने का एहसास बनाए रखता है | यानी सबकी सुनो और उसमे से अपने मतलब की बात ढूंढो और सही जगह पर उस बात को डिलीवर कर दो | चमचा कोई भी जन्म से पैदा नहीं होता न ही चमचा तैयार करने की कोई फैक्ट्री होती है जहां चमचे तैयार किये जाएँ | चमचा बनने का एक ही फायदा है कि दूसरों का काम बिगड़े और हमारा काम बने |
चमचागिरी एक चाय से शुरू होकर बड़ी – बड़ी डील तक पहुँच जाती है | चमचों को अंग्रेजी में “स्पून” भी कहते हैं | चम्मच से शुरू होकर ये कब कड़छुल या झरिये का रूप ले लेते है शायद इनका भान इन्हें भी नहीं होता | वैसे देखें तो चम्मच हर जगह आसानी से मिल जाते है | जैसे राजनीति में , सरकारी दफ्तर में , किसी कम्पनी में , स्कूल में या यूं कहें हमारे चारों ओर के परिवेश में कहीं भी | आज इनकी बहुतायत हो गयी है | कोई भी काम बिना स्पूनिंग के बनता ही नहीं | एक बात और कि चमचे हमेशा खुद को 90 डिग्री तक झुकाकर रखते हैं | इनकी यही खासियत इनको किसी का भी शागिर्द बना देती है | चमचों में एक और गुण विशेष रूप से पाया जाता है वो यह कि अपने बॉस को देखते ही ये एक विशेष शीरीरिक मुद्रा में प्रदर्शित करना शुरू कर देते हैं और अपनी बात को किस तरह शुरू किया जाए इसका भान इन्हें होता है | साथ ही जिनके साथ इनकी बढ़िया जमने लगती है वे भी इनकी शारीरिक मुद्राओं से ही लिफ़ाफ़े का मजमून पढ़ लेते हैं |
चमचे जब भी कोई ख़ास बात अपने बॉस को डिलीवर करते हैं तो इनका अति उत्साह इस बात का परिचायक होता है कि इनकी कही जाने वाली बात से बॉस का खुश होना लाजमी है | चमचे उपरोक्त सभी कलाओं के अलावा बॉस के घर की सब्जी लाने, घर का सामान लाने , बर्तन मांजने , कपड़े धोने , सामान उठाने , डांट खाने , गालियाँ खाने आदि में भी परिपक्व होते हैं | ये गालियां खाने के बाद भी बॉस के सामने मुस्कुरा देते हैं | चमचों से ये दुनिया पटी पड़ी है | कई बार ये भी भ्रम होता है कि सामने वाला चमचा है या भक्त | क्योंकि चमचागिरी से शुरू होती ये यात्रा बॉस की “भक्ति” पर जाकर समाप्त होती है | कभी – कभी ये भक्ति “अंधभक्ति” में परिवर्तित होने में ज्यादा समय नहीं लेती | मेरी आपसे गुजारिश है कि आप भी एक बार चमचागिरी का आनंद उठायें पर अंधभक्ति से बचें | इस कला में स्वयं को पारंगत करें और फिर देखें कि आपके सभी काम कैसे आसानी से निपटते हैं | अपने अनुभाव हम सबके साथ जरूर साझा करें | All the best.

1 Like · 1927 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

कौड़ी के भाव ले के दुआ
कौड़ी के भाव ले के दुआ
अरशद रसूल बदायूंनी
दीप शिखा सी जले जिंदगी
दीप शिखा सी जले जिंदगी
Suryakant Dwivedi
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
धैर्य
धैर्य
Sanjay ' शून्य'
राजस्थानी भाषा में
राजस्थानी भाषा में
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
फ़िर होता गया
फ़िर होता गया
हिमांशु Kulshrestha
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
Phool gufran
जीवन शोकगीत है
जीवन शोकगीत है
इशरत हिदायत ख़ान
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
Jyoti Roshni
काश
काश
Mamta Rani
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
- बस एक बार मुस्कुरा दो -
- बस एक बार मुस्कुरा दो -
bharat gehlot
जिंदगी में -
जिंदगी में -
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ज़ब जीवन मे सब कुछ सही चल रहा हो ना
ज़ब जीवन मे सब कुछ सही चल रहा हो ना
शेखर सिंह
*खीलों से पूजन हुआ, दीपावली विशेष (कुंडलिया)*
*खीलों से पूजन हुआ, दीपावली विशेष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां  ,
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
Neelofar Khan
चली ⛈️सावन की डोर➰
चली ⛈️सावन की डोर➰
डॉ० रोहित कौशिक
दिल की प्यारी
दिल की प्यारी
जय लगन कुमार हैप्पी
"घर की नीम बहुत याद आती है"
Ekta chitrangini
अकेली रही जिन्दगी
अकेली रही जिन्दगी
surenderpal vaidya
Good night
Good night
*प्रणय*
फितरत आपकी जैसी भी हो
फितरत आपकी जैसी भी हो
Arjun Bhaskar
सांसों का क्या ठिकाना है
सांसों का क्या ठिकाना है
नूरफातिमा खातून नूरी
My broken lashes
My broken lashes
Ankita Patel
Mental Health
Mental Health
Bidyadhar Mantry
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
पूर्वार्थ
बेसुरी खाँसी ....
बेसुरी खाँसी ....
sushil sarna
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
Loading...