चमकता है चाँद अँधेरे में तीरगी ए शब में तारे भी चमकते होंगे
चमकता है चाँद अँधेरे में
तीरगी ए शब में तारे भी चमकते होंगे
बागबाँ खिलता है जब फूलों का
गुलशन भी महकते होंगे
दरख़्त की छांव में
मुसाफ़िर भी ठहरते होंगे
माँ की गोद में सदा
बच्चे भी खेलते होंगे
मंजनू आज भी दरबदर
सच्चे प्यार को खोजते होंगे
दो वक्त रोटी की आश में
मज़दूर पत्थर तोड़ते होंगे
गाँव छोड़ चल दिए शहर की और
आज गांव की आब,हवा को याद करते होंगे
रूठ कर चले गये बच्चे माँ से दूर
हर पल माँ को याद करते होंगे
भूपेंद्र रावत
5।11।2017