चन्दा का धन्धा
ये चन्दा का धन्धा तू कब तक करेगा,
मरे को ही जिन्दा तू कब तक करेगा।
ये नफरत का कांटा पिघल जायेगा सब
ये झूठे का वादा निकल जायेगा सब।
अगर हमनें मिलकर इसे न भगाया,
गरीबों का पैसा निगल जायेगा सब।।
धनकाला न लाया तुमने विदेशों से
तो बोलो साहब खुद के गले में,
फाँसी का फंदा तू कब तक करेगा।
यूँ खुद को शर्मिंदा तू कब तक करेगा।।
ये चन्दा ———– तू कब तक करेगा।।
संदीप यादव(Zo Zo)
आजमगढ़