*चढ़ती मॉं की पीठ पर, बच्ची खेले खेल (कुंडलिया)*
चढ़ती मॉं की पीठ पर, बच्ची खेले खेल (कुंडलिया)
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चढ़ती मॉं की पीठ पर, बच्ची खेले खेल
सिल-बटने पर पिस रही, चटनी जैसे रेल
चटनी जैसे रेल, चल रही छुक-छुक गाड़ी
नीली पीली लाल, हरी मॉं पहने साड़ी
कहते रवि कविराय, समय की सूई बढ़ती
सहज जिंदगी रोज, खुशी की सीढ़ी चढ़ती
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451