चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुची हूं
चट्टानों पे चलकर मै आज यहॉ तक पहुंची हूं
अंगार अधर पे धर कर
ज्वला को होंठों से पीकर
दाह हसरतों का करके
मै आज यहं तक पहुंची हूं
फूलों से खुशबू लेकर
कण कण से नफरत चुन कर
कॉटों से मुस्कान लिए
मै आज यहॉ तक पहुंची हूं
स्वप्न संसार नयन मे धर
धीर ह्रदय मे धर करके
पुरजोर वेग विपरीत हवा
लहर लहर तूफान लहर
तूफानों को कश्ती बना
मै आज यहं तक पहुंची हूं