Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2023 · 1 min read

*चटकू मटकू (बाल कविता)*

चटकू मटकू (बाल कविता)
_________________________
चटकू मटकू दादा कहते
संग सदा पोती के रहते

गोदी में ले उसे घुमाते
घुटनों के बल खेल खिलाते

मुॅंह में जो देखा रख लेती
ऑंख बचाकर फिर हॅंस देती

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451

322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
मेरी हस्ती
मेरी हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
वक्त
वक्त
Prachi Verma
भय लगता है...
भय लगता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम तो बस कहते रहे, अपने दिल की बात।
हम तो बस कहते रहे, अपने दिल की बात।
Suryakant Dwivedi
गहरे जख्म
गहरे जख्म
Ram Krishan Rastogi
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
Buddha Prakash
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
"संयम की रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
कोहरा
कोहरा
Ghanshyam Poddar
☎️  फोन जब तार से बंधा था, आदमी आजाद था.. जब से फोन तार से आ
☎️ फोन जब तार से बंधा था, आदमी आजाद था.. जब से फोन तार से आ
Ranjeet kumar patre
अस्तित्व की तलाश में
अस्तित्व की तलाश में
पूर्वार्थ
फिर फिर गलत होने का
फिर फिर गलत होने का
Chitra Bisht
💐प्रेम कौतुक-563💐
💐प्रेम कौतुक-563💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
*बांहों की हिरासत का हकदार है समझा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
4385.*पूर्णिका*
4385.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संवेदना सुप्त हैं
संवेदना सुप्त हैं
Namrata Sona
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
नजरों से गिर जाते है,
नजरों से गिर जाते है,
Yogendra Chaturwedi
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शब्द
शब्द
Sûrëkhâ
मन का चोर अक्सर मन ही बतला देता,
मन का चोर अक्सर मन ही बतला देता,
Ajit Kumar "Karn"
सत्य
सत्य
लक्ष्मी सिंह
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
Rj Anand Prajapati
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
gurudeenverma198
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
Dr fauzia Naseem shad
श्री गणेश वंदना
श्री गणेश वंदना
Kumud Srivastava
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Dr. Rajeev Jain
Loading...