चंद शेर
चंद शेर
जो बात तुममें थी , वो किसी और में न थी
फिर भी,प्यार की ज़रूरत तुम्हें कोई कम न थी !
वक़्त लगता है बादल को बनने में
वक़्त लगता है प्यार पनपने में।
ये कोलाहल , जो मर्यादाएं तोड़ निकला है
सम्भालो इसे , जो विवेक तोड़ निकला है !
गली गली आवारा घुमते हैं
हमारा तुम्हारा आईना बने फिरते हैं।
शशि महाजन