“चंद लकीरें”….
कदम ज़िन्दगी ने आज फिर बढ़ा लिया,,
देकर सहारा ख़ुद कद अपना घटा लिया।।
बचा रखी हैं चंद लकीरें उनके लिए भी,,
कमबख्त जिन्हें मिटाना हम खुद भूल गए।।
तालिम में उनकी हम सब कुछ भूल गए,,
देकर खुशियां ख़ुद गमों पर झूल गए।।
satya shastri.Jind(HR.)