Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

चंद एहसासात

जान कर भी अंजान से बन जाते हैं लोग ,
अपनों से भी अजनबी से बन जाते हैं लोग ,
ये वक्त का है तकाज़ा ,
या फ़ितरत का है नतीज़ा ,
इक नया चेहरा लगाकर पेश हो जाते है लोग ।

Language: Hindi
267 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

एक दिन आना ही होगा🌹🙏
एक दिन आना ही होगा🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
#कस्मे-वादें #
#कस्मे-वादें #
Madhavi Srivastava
अद्भुत प्रेम
अद्भुत प्रेम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
Rj Anand Prajapati
चन्द ख्वाब
चन्द ख्वाब
Kshma Urmila
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
शेखर सिंह
..
..
*प्रणय*
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* बाँझ न समझो उस अबला को *
* बाँझ न समझो उस अबला को *
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
लिबास और आदमी
लिबास और आदमी
पूर्वार्थ
7. तेरी याद
7. तेरी याद
Rajeev Dutta
कितनी    बेचैनियां    सताती    हैं,
कितनी बेचैनियां सताती हैं,
Dr fauzia Naseem shad
किवाङ की ओट से
किवाङ की ओट से
Chitra Bisht
जिनिगी के नइया डूबल जाले लोरवा में
जिनिगी के नइया डूबल जाले लोरवा में
आकाश महेशपुरी
घुल से गए हो।
घुल से गए हो।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
वो पत्थर याद आते हैं
वो पत्थर याद आते हैं
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
Phool gufran
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
श्रम बनाम भ्रम
श्रम बनाम भ्रम
Jyoti Pathak
"बेचारा किसान"
Dharmjay singh
स्वाधीनता दिवस
स्वाधीनता दिवस
Kavita Chouhan
4580.*पूर्णिका*
4580.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संघर्ष की आग से ही मेरी उत्पत्ति...
संघर्ष की आग से ही मेरी उत्पत्ति...
Ajit Kumar "Karn"
प्रेम🕊️
प्रेम🕊️
Vivek Mishra
"क्रन्दन"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
झूठ रहा है जीत
झूठ रहा है जीत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
अधूरा प्रेम
अधूरा प्रेम
Mangilal 713
Loading...