चंद्रशेखर आजाद (#कुंडलिया)
चंद्रशेखर आजाद (#कुंडलिया)
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आजादी के युद्ध में , अग्रगण्य आजाद
हाथों में पिस्तौल थी ,जिनकी अनुपम याद
जिनकी अनुपम याद ,क्रांतिपथ. के अनुयाई
भारत माता हेतु , जिंदगी भेंट चढ़ाई
कहते रवि कविराय , युद्धपथ के उन्मादी
धन्य – धन्य बलिदान ,रक्त का फल आजादी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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चंद्रशेखर आजाद ( 23 जुलाई 1906 – 27 फरवरी 1931)
फरवरी 1922 में चौरा-चौरी हिंसक कांड के कारण गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन बंद करने के फलस्वरूप जिनका अहिंसा-मार्ग से मोहभंग हुआ, चंद्रशेखर आजाद उनमें से एक थे ।
तत्पश्चात आपने क्रांति-पथ का अनुसरण किया । 9 अगस्त 1925 को सरकारी खजाना लूटने की गतिविधि में शामिल होकर काकोरी कांड को अंजाम दिया ।
1927 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया तथा क्रांति के मार्ग से भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति को जीवन का ध्येय बनाया।
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में पुलिस अधीक्षक सांडर्स के कार्यालय पर पहुँचकर भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ मिलकर उसकी हत्या की योजना बनाई । पहली गोली सांडर्स पर राजगुरु ने दागी। उसके बाद भगत सिंह ने सांडर्स पर कुछ गोलियाँ और चलाईं । जब सांडर्स के अंगरक्षक ने पीछा करने का प्रयत्न किया तो चंद्रशेखर आजाद ने उसे गोली मारकर ढेर कर दिया ।
पता नहीं कैसे अंग्रेजों को खबर लग गई कि प्रयागराज के एल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों से विचार-विमर्श कर रहे हैं । पुलिस ने उन्हें घेर लिया। बचने का कोई रास्ता न पाकर चंद्रशेखर आजाद ने अपनी ही पिस्तौल से अपने जीवन का अंत कर दिया । उस समय उनकी आयु केवल 24 वर्ष की थी।