चंदा मामा
चंदा मामा दूर रहे हो
ऊपर से ही घूर रहे हो।
मुँह मटका चिढाते हो
दिखते कभी छिप जाते हो।
चमक चांदनी साथ में लाते
इसलिए ओषधिपति कहलाते।
कभी मिलने हमसे भी आओ।
बादल तक हमें सैर कराओ।
ऊपर से देखें चांदनी रात।
करनी है तुमसे कुछ बात ।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र