चंदा मामा रहे कुंवारे
चंदा मामा रहे कुंवारे,
मामी नहीं वे ला पाये।
नीलगगन मे ठण्ड मे घूमे,
सफऱ कैसे वे काट पाये।।
लंवा सफऱ है ठंडा मौसम,
सर्दी अपनी कैसे भगाये।
जल्द उनकी शादी कर दो,
जीवन साथी एक आ जाये।।
अखबारों मे इस्तहार छपवाया,
शादी प्रस्ताव कोई नहीं आया,।
ऐसे लम्बे ठन्डे गगन के सफऱ मे,
अपनी लड़की कोई नहीं दे पाया।
चंदा मामा के माता पिता को,
सता रही थी यही एक चिंता।
कैसे करें अपने पुत्र की शादी,
रिश्ता कोई भी नहीं है आता।।
भू लोक ज़ब कोई रिश्ता न आया,
अंतरिक्ष मे एक इस्तहार छपवाये।
चंदा मामा को एक दुल्हन चाहिए,
जो जीवन भर उसका साथ निभाए।।
तभी एक सुन्दर प्रस्ताव आया,
नाम था उसका गगन वाहिनी।
दोनों का विवाह हो गया वही
तभी से वह कहलाई चांदनी।।
तारों की सजी बारात गगन मे
सभी देवता गगन पर थे आये।
आशीर्वाद देकर उनको अपना,
चंदा चांदनी की शादी करवाये।।
चंदा चाँदनी साथ साथ चलते,
कभी भी अलग नहीं वे होते।
दोनों मिलकर वे सफऱ करते,
हर मौसम मे साथ साथ होते
भू लोक वाले भी इनसे शिक्षा लेवे,
पति पत्नि साथ साथ रहे हमेशा।।
सुख दुःख मे बने वे एक साथी,
चाँद चांदनी की तरह वे हमेशा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम