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24 Nov 2021 · 1 min read

चंदा मामा (बाल कविता)

चंदा मामा (बाल कविता)
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
( 1 )
जग चमकाते चंदा मामा
धीरे आते चंदा मामा
( 2 )
दिन जब छिपता ,आसमान में
तब दिख पाते चंदा मामा
( 3 )
दिखते गोलमटोल ,सींकिया
कभी कहाते चंदा मामा
( 4 )
जब आती है दूज , न दिखते
खूब छकाते चंदा मामा
( 5 )
गोरा रंग तुम्हारा कैसे
क्या हो खाते चंदा मामा
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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