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7 Dec 2018 · 1 min read

चंचल

माया,मोह सी
चंचल चितवन
मृगतृष्णा सा
चंचल मन
सिकता में
सरि की तलाश
चंचल क्षण
अंजुरी भरी रेत सा
सरकता
संग बहु आस
दरकता
चंचलता का
ठौर कहाँ
निराधार,निरावलम्बन
अस्थिर, भ्रमित
चंचल मन को
इसपर गौर कहाँ?
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
3 Likes · 273 Views
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