चंचल
माया,मोह सी
चंचल चितवन
मृगतृष्णा सा
चंचल मन
सिकता में
सरि की तलाश
चंचल क्षण
अंजुरी भरी रेत सा
सरकता
संग बहु आस
दरकता
चंचलता का
ठौर कहाँ
निराधार,निरावलम्बन
अस्थिर, भ्रमित
चंचल मन को
इसपर गौर कहाँ?
-©नवल किशोर सिंह
माया,मोह सी
चंचल चितवन
मृगतृष्णा सा
चंचल मन
सिकता में
सरि की तलाश
चंचल क्षण
अंजुरी भरी रेत सा
सरकता
संग बहु आस
दरकता
चंचलता का
ठौर कहाँ
निराधार,निरावलम्बन
अस्थिर, भ्रमित
चंचल मन को
इसपर गौर कहाँ?
-©नवल किशोर सिंह