“चंचल काव्या”
“चंचल काव्या”
पापा को स्कूल की सब बात बताकर हर्षाती
मीनू के आंचल का दुलार पाकर वह मुस्कुराती
रोमित के साथ शैतानियां कर खुश हो जाती
स्वभाव में चुलबुली सी है मेरी बिटिया काव्या,
हृदय में अपने कोई भी बात वह रख नहीं पाती
झटपट से मम्मी को सारी दिनचर्या वो बता देती
रोमित को लाड़ लड़ाती, कभी डांट भी लगा देती
व्यवहार में बहुत शालीन है मेरी बिटिया काव्या,
क्रिकेट है पसंदीदा खेल खूब चौके छक्के लगाती
कभी तो शतरंज खेलती कभी वीडियो गेम सुहाती
साईकिल से करती सैर गुडिया से नफरत करती
आउटडोर खेल की बादशाह है मेरी बिटिया काव्या,
कभी भी किसी चीज के लिए शिकायत नहीं करती
मम्मी की प्यारी सी दोस्त, मन लगाकर पढ़ाई करती
सभ्यता से करती हर काम वह बड़ों का आदर करती
पापा की तो आंखों का तारा है मेरी बिटिया काव्या।