Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2020 · 2 min read

घोर कलयुग

क्या यही है शुरुआत घोर कलयुग की?
हैवानियत की हदें हो रही पार,
कैसे है हम जिन्दा मानवता की हत्या के युग में ?
लांघ चुका है मनुष्य अपने नैतिक पतन की सीमाओं को….

और कितने जघन्य अपराध करेंगा तू,
एक बार फिर चढ़ी बलि मासूम की,
अमानवीय महाशर्मनाक घटना मल्लपुरम में,
निःशब्द हूँ मैं इस घटना के बाद,

कितना व्यवहारिक है मूक प्राणी के प्रति मानव का व्यवहार,
सच ही है मनुष्य इस धरती का सबसे क्रूर और स्वार्थी प्राणी है,
हे निर्दयी इन्सान!! तुझसे तो बेहतर है वे आदिवासी,
अपनी जान पर खेल कर बचाता है मूक प्राणियों को…….

हे मूर्ख!! आज कोरोना के रूप सिर पर मौत तांडव कर रही है,
फिर भी तू अमानवीय हरकतों से बाज नही आ रहा,
आत्मघाती साबित हो है सारी दुनिया,
वैज्ञानिक,वैचारिक,सामाजिक और आर्थिक क्रांति से गुजर रहा है जमाना……

क्या कसूर था उस माँ हथिनी का
मल्लपुरम में खाने की तलाश में निकली थी वह माँ,
अनन्नास में पटाखे भरकर खिला दिया उसे कुछ शरारती तत्वों ने
मुँह और जीभ बुरी तरह चोटिल हो गए उस अबला के,

कुछ खा नहीं पा रही थी ज़ख्मों की वजह से वह,
सड़कों पर भटकती रही अपने बच्चे की भूख की तड़प से बैचेन थी माँ
अरे निर्मोही!! फिर भी तुझको नुक़सान नहीं पहुँचाया उस माँ ने,
वह तो तड़पती रही अपने गर्भ में पल रहे मासूम के लिए…..

नदी में तीन दिन तक पानी में मुंह डाले खड़ी रही वह माँ.
इस चाहत में कि अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को बचा ले,
दिया नाम सांप्रदायिक का तूने इसे घोर हत्या के बाद ,
आखिर तब तक मासूमों को बलि चढ़ेगी… क्या यही है शुरुआत घोर कलयुग की?

Language: Hindi
6 Likes · 3 Comments · 631 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कल है हमारा
कल है हमारा
singh kunwar sarvendra vikram
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
"मानुष असुर बन आ गया"
Saransh Singh 'Priyam'
ख़ुद से हमको
ख़ुद से हमको
Dr fauzia Naseem shad
"Cakhia TV - Nền tảng xem bóng đá trực tuyến hàng đầu. Truyề
Social Cakhiatv
द्वारिका गमन
द्वारिका गमन
Rekha Drolia
मेरे पिता जी
मेरे पिता जी
Surya Barman
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
Ravi Prakash
जिंदगी मिली है तो जी लेते हैं
जिंदगी मिली है तो जी लेते हैं
पूर्वार्थ
#विश्व_संस्कृत_दिवस
#विश्व_संस्कृत_दिवस
*प्रणय*
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
Anand Kumar
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
अरविंद भारद्वाज
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
लावनी
लावनी
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
*फूलों सा एक शहर हो*
*फूलों सा एक शहर हो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अब नहीं घूमता
अब नहीं घूमता
Shweta Soni
तृषा हुई बैरागिनी,
तृषा हुई बैरागिनी,
sushil sarna
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
पर्व दशहरा आ गया
पर्व दशहरा आ गया
Dr Archana Gupta
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
डॉ० रोहित कौशिक
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
बड़े दिलवाले
बड़े दिलवाले
Sanjay ' शून्य'
Loading...