घुटती सिसकियां
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घुटती रहेंगी आखिर कब तक
सिसकियाँ दरवाजो में
लुटती रहेगी कब तक नारी
वासना के गलियारों में
भ्रूण हत्या दहेज हत्या
ग्लैमर के नंगे चौबारे में
राजधानी की डीलक्स बसों में
सफेद चमचमाती कारों में
घर की चारदीवारी में या
खेतो और खलिहानों में
कभी अज्ञात बलात्कारी होते
कहीं रिश्तों के परिधानों में
कोई निर्वस्त्र फूलन बन जाती
कई दम तोड़ देती अस्पतालों में
क्यों लिखा पूज्यनीय नारी है
शक्ति रूपा पुराणों में
क्यों लज़्ज़ा को लज़्ज़ा नहीं आती
नहीं हया रही हैवानो में
कब तक समाज कर्महीन रहेगा
कब होगा सुधार संविधानों में
कब सोई सत्ता जागेगी
थमेगा मवाद क नापाक इरादों में
कब तक नारी परित्यक्ता रहेगी
अपनी ही बेगानो में
ये प्रश्न नहीं मात्र मेरा
हुंकार आज ये हर आँगन में
हे आदिशक्ति कुरुक्षेत्र चुनो
अब तो आओ मैदानों में
हे आदि देव महादेव कहो
क्या दण्ड हो समाधानो में
एक सलाह मेरी मानो
ये पुरुष पुरुषत्व विहीन करो
हो प्रतिबंधित इनका जीवन
समाज राक्षस विहीन करो
समाज राक्षस विहीन करो
जय भारत जय माँ भारती