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13 Apr 2020 · 2 min read

घिनौना इंसान

शीर्षक – घिनौना इंसान
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किसी जंगल के बहुत से जानवर शहर की सैर करने के लिए निकले l सभी बहुत खुश नजर आ रहे थे l सड़कें बिल्कुल सुनसान पड़ी हुई थी l कोई भी वाहन नहीं था, न ही कोई शोरगुल l शहर की आबोहवा भी बिल्कुल शान्त थी, जंगल के माफिक l सभी अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे थे l वे मस्ती में झूमते नाचते गाते नगर भ्रमण का आनंद ले रहे थे l

बरसों बाद ऎसा मौका आया, जब शेर चीता, हिरन, हाथी, भालू आदि किसी गली से गुजरते तो ऎसा प्रतीत होता मानों पूरा जंगल आज इंसानघर देखने आया हो l इंसानों को घरो में बंद और खिड़की, बालकनी से झांकते देख सभी जानवर अपने जानवर होने पर गर्व महसूस कर रहे थे l कुत्ते उनके आगे चलते हुए भौ भौ करते हुए गाइड कर रहे थे l

अचानक एक खरगोश की नजर उन इंसानो पर पड़ी जो बार बार हाथ धोने में लगे थे l उसे थोड़ा अचंभा लगा तो उसने अपने महाराज से पूछा – “महाराज, ये लोग क्या कर रहे हैं?”
“शायद मेरी समझ से अपने गंदे हाथ साफ कर रहे हैंl” – शेर ने दहाड़कर कहा l
“लेकिन महाराज बार बार क्यों ?”
” इनके हाथ बहुत गंदे हैं रे!, इस इंसान ने अपने सामने किसी को कभी कुछ समझा ही नहीं l हम लोगो को खत्म किया, हमारा जंगल खत्म किया , साफ-सुथरी हवा को जहरीला किया, नदी- तालाब-पोखर का पानी भी विषैला बना दिया, ,,,, जहरीले पानी और हवा से कितने ही जानवरों ने अपना अस्तित्व खो दिया, पता तो है ही, ,,, यहाँ तक कि इंसान ने इंसान का भी भला नहीं सोचा , ,,,, कुदरत के साथ हमेशा खिलवाड़ किया इसने, ,,, ये सारे खून के दाग ऎसे तो न छूटेंगे , इसीलिए बार बार हाथ धो रहा है ” – शेर ने तनिक द्रवित होकर कहा l
” तो महाराज, हमें इस घिनौनी बस्ती में नहीं आना चाहिए था l इन लोगों को देखकर हम लोगों को खुशी से ज्यादा दु:ख हुआ , ,,, इससे अच्छा तो अपना जंगल है ” – खरगोश ने कहा तो सभी ने अपना सिर हिलाकर सहमति जताई , और सभी पूँछ हिलाते हुए बापस जंगल की ओर लौटने लगे…… l.

राघव दुवे ‘रघु’
इटावा
8439401034

Language: Hindi
1 Comment · 439 Views
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