घाव भरने दीजिए (गीतिका)
घाव भरने दीजिए
~~
हैं बहुत से घाव भरने दीजिए।
जिन्दगी को कुछ सँभलने दीजिए।
साथ में चलना नहीं है जब तुम्हें।
कुछ समय बस पास रहने दीजिए।
स्वप्न देखे हैं बहुत सुन्दर लगे।
भोर का है वक्त जगने दीजिए।
फूल पर जब तितलियां मंडरा रही।
आज बस मन को बहकने दीजिए।
नाव कागज की दिखे जब तैरती।
बालपन कुछ पल ठहरने दीजिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २९/११/२०२१