घावों को कुरेद कर, नासूर बना रहा हूं।
घावों को कुरेद कर, नासूर बना रहा हूं।
आहिस्ता आहिस्ता खुद को, मगरूर बना रहा हूं।
खुद को धोखेबाज दूनिया के लिए, सुरूर बना रहा हूं।
जिन्दगी है एक धोखा, ऐसा फितूर बना रहा हूं।
श्याम सांवरा …..
घावों को कुरेद कर, नासूर बना रहा हूं।
आहिस्ता आहिस्ता खुद को, मगरूर बना रहा हूं।
खुद को धोखेबाज दूनिया के लिए, सुरूर बना रहा हूं।
जिन्दगी है एक धोखा, ऐसा फितूर बना रहा हूं।
श्याम सांवरा …..